आमदनी अठ्ठन्नी और ख़र्चा रूपईया ...
ऐसे ही नहीं कहते हैं भैया ...
आटा , तेल , दूध... सबके दामों ने रुलाया है ,
रुपया – दो रुपया धीरे – धीरे बढ़ते गए सब ,
पर लौट के वापिस कोन्हूँ नाहीं पुराने दाम पे आया है,
आमदनी अठ्ठन्नी और ख़र्चा रूपईया ...
ऐसे ही नहीं कहते हैं भैया ...
डीज़ल , पेट्रोल , गैस के ; नेताजी ने थामे दाम,
चुनाव की नज़दीकी में राजनीति की यही भाषा है ,
नेताजी ने एक बार फिर एक आस में सबको बाँधा है,
चुनाव ख़त्म और आस भी ख़त्म ,
मँहगाई ने फिर किया षड़यंत्र ,
आमदनी अठ्ठन्नी और ख़र्चा रूपईया ...
ऐसे ही नहीं कहते हैं भैया ...
🌻लेखिका ✍️©®शिवांगी शर्मा
🌻©®Shivangi Sharma - शब्दों के शिखर
🌻स्वरचित , मौलिक व सर्वाधिकार सुरक्षित
Abhinav ji
17-Mar-2022 11:55 PM
Very nice
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Gunjan Kamal
13-Mar-2022 11:01 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Shivangi Sharma - शब्दों के शिखर
17-Mar-2022 05:30 PM
Thank you 🙏🙏❤️❤️😊
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Rohan Nanda
13-Mar-2022 08:46 PM
वाह बहुत बहुत बढ़िया, काफी इफेक्टिव लिखा है।
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Shivangi Sharma - शब्दों के शिखर
17-Mar-2022 05:31 PM
Thank you🤗🤗🙏🙏
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